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अल्फोंसो आम को जीआई टैग प्रदान किया गया

अल्फोंसो आम को जीआई टैग प्रदान किया गया


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2018-10-08 : हाल ही में, महाराष्ट्र के रत्नागिरी, सिंधुदुर्ग, पालघर, ठाणे और रायगढ़ जिलों में पैदा होने वाले अल्फोंसो आम को ‘भौगोलिक चिन्ह’ (जीआई) के तौर पर पंजीकृत किया गया है। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु ने भारतीय वस्तुओं के भौगोलिक चिन्ह के लिए ‘लोगो और टैगलाइन’ को लॉन्च करते हुए कहा कि इससे कलाकारों उत्पादनकर्ताओं की बौद्धिक संपदा का उनका अधिकार तथा उस उत्पाद के उत्पत्ति को सही अधिकार मिल सकेगा। अल्फोंसो (हापुस) आमों की सबसे बेहतरीन किस्म महाराष्ट्र के कोंकण इलाके में स्थित सिंधुदुर्ग जिले की तहसील देवगढ़ में उगायी जाती है, साथ ही सबसे अच्छे आम सागर तट से 20 किलोमीटर अंदर की ओर स्थित जमीन पर ही उगते हैं।

कोंकण अल्फोंसो के बारे में :-

# अल्फोंसो को आमों का राजा कहा जाता है और महाराष्ट्र में इसे हापुस के नाम से जाना जाता है।

# इसके लजीज स्वाद, अनोखी खुशबू और चमकदार रंग के चलते इसकी भारत के अलावा अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में काफी मांग हैं।

# विश्व में यह काफी लंबे समय से मशहूर फल रहा है और इसे जापान, कोरिया तथा यूरोप को निर्यात किया जाता रहा है।

# हाल ही में अमेरिका और आस्ट्रेलिया ने भी अपने बाजारों में इसके आयात को मंजूरी दी है।

# भारत में पहला जीआई टैग दार्जिलिंग चाय को 2004 में दिया गया था और देश में इस टैग को हासिल करने वाले कुल उत्पादों की संख्या 325 हैं।

भौगोलिक चिन्ह (जीआई टैग) के बारे में :-

# भौगोलिक चिन्ह किसी भी उत्पाद के लिए एक चिन्ह होता है जो उसकी विशेष भौगोलिक उत्पत्ति, विशेष गुणवत्ता और पहचान के लिए दिया जाता है और यह सिर्फ उसकी उत्पत्ति के आधार पर होता है।

# ऐसा नाम उस उत्पाद की गुणवत्ता और उसकी विशेषता को दर्शाता है।

# दार्जिलिंग चाय, महाबलेश्वर स्ट्रोबैरी, जयपुर की ब्लूपोटेरी, बनारसी साड़ी और तिरूपति के लड्डू कुछ ऐसे उदाहरण है जिन्हें जीआई टैग मिला हुआ है।

# जीआई उत्पाद दूरदराज के क्षेत्रों में किसानों, बुनकरों शिल्पों और कलाकारों की आय को बढ़ाकर ग्रामीण अर्थव्यवस्था को फायदा पहुंचा सकते हैं।

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