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 पं. मदन मोहन मालवीय मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किये गये |

पं. मदन मोहन मालवीय मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किये गये |


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0000-00-00 : राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने महान शिक्षाविद और काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के संस्थापक महामना पंडित मदन मोहन मालवीय को 31 मार्च 2015 को भारत रत्न (मरणोपरांत) से सम्मानित किया है | राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने राष्ट्रपति भवन में आयोजित समारोह में महामना के पौत्र को यह सम्मान सौंपा गया था | महामना पंडित मदनमोहन को भारत का यह सर्वोच्च नागरिक सम्मान परणोपरांत दिया गया था | केंद्र सरकार ने दिसंबर 2014 में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और महामना पंडित मदन मोहन मालवीय को भारत रत्न देने की घोषणा की थी || भारत रत्न से नवाजे जाने वाले व्यक्ति को राष्ट्रपति द्वारा हस्ताक्षर की हुई सनद (प्रमाण पत्र) और एक पदक दिया जाता है | इसमें कोई धन राशि नहीं होती है | विदित हो कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और महामना पंडित मदन मोहन मालवीय इस पुरस्कार से सम्मानित किए जाने वाले क्रमशः 44वें एवं 45वें व्यक्ति हैं | महामना पंडित मदन मोहन मालवीय से जुड़े कुछ बाते : पंडित मदन मोहन मालवीय का जन्म 25 दिसम्बर 1861 को इलाहाबाद में हुआ था | अपने महान कार्यों के चलते वे "महामना" कहलाये गये | इनके पिता का नाम ब्रजनाथ और माता का नाम भूनादेवी था | चूँकि ये लोग मालवा के मूल निवासी थे, इसीलिए मालवीय कहलाए गये | महामना मालवीय जी ने सन् 1884 में उच्च शिक्षा पूरी की थी | शिक्षा समाप्त करते ही उन्होंने अध्यापन का कार्य शुरू किया पर जब कभी अवसर मिलता वे किसी पत्र इत्यादि के लिये लेखा आदि लिखते थे | वर्ष 1885 ई. में वे एक स्कूल में अध्यापक हो गये, परन्तु शीघ्र ही वक़ालत का पेशा अपना कर वर्ष 1893 इस्वी में इलाहाबाद हाईकोर्ट में वक़ील के रूप में अपना नाम दर्ज करा लिया | और उन्होंने पत्रकारिता के क्षेत्र में भी प्रवेश किया और वर्ष 1885 तथा वर्ष 1907 ई. के बीच तीन पत्रों- हिन्दुस्तान, इंडियन यूनियन तथा अभ्युदय का सम्पादन किया | वर्ष 1916 में उन्होंने काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) की स्थापना की | जो की वर्तमान में भारत की एक प्रतिष्ठित केंद्रीय विश्वविद्यालय है | भारत रत्न से संबंधित मुख्य तथ्य : भारत रत्न, भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान है | भारत रत्न देने की व्यवस्था 2 जनवरी 1954 को भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद ने की थी | उस समय केवल जीवित व्यक्ति को यह सम्मान दिया जाता था, लेकिन वर्ष 1955 में मरणोपरांत भी सम्मान देने का प्रावधान जोड़ दिया गया | यह सम्मान राष्ट्रीय सेवा के लिए दिया जाता है | इन सेवाओं में कला, साहित्य, विज्ञान, सार्वजनिक सेवा और खेल शामिल है | वर्ष 2013 में पहली बार खेल के क्षेत्र में नाम कमानेवालों को भी भारतरत्न देने का निर्णय हुआ और इसी कड़ी में क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर को चुना गया था | वर्ष 2013 में सचिन के साथ ही साथ वैज्ञानिक सीएनआर राव को भी भारत रत्न दिया गया | विदित हो कि एक वर्ष में अधिकतम तीन व्यक्तियों को ही भारत रत्न दिया जा सकता है | इस पदक के डिज़ाइन में तांबे के बने पीपल के पत्ते पर प्लेटिनम का चमकता सूर्य बना होता है, जिसके नीचे चाँदी में लिखा रहता है "भारत रत्न" और यह सफ़ेद फीते के साथ गले में पहना जाता है | अब तक कुल 45 लोगों को भारत रत्न दिया जा चुका है | सी राजगोपालाचारी, सी.वी. रमन और राधाकृष्णन को सबसे पहले वर्ष 1954 में इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया था | राजगोपालाचारी स्वतंत्रत भारत के एकमात्र भारतीय गवर्नर जनरल थे | तथा सी.वी. रमन मद्रास के एक भौतिक विज्ञानी और नोबेल पुरस्कार विजेता थे और राधाकृष्णन वर्ष 1952 से वर्ष 1962 तक भारत के प्रथम उप राष्ट्रपति और वर्ष 1962 से वर्ष 1967 तक भारत के दूसरे राष्ट्रपति के पद पर रहे |

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