
मैटर्निटी लीव को बढ़ाकर 26 हफ्ता किया गया, बिल को राज्यसभा की मंजूरी
2016-08-11 : हाल ही में, 11 अगस्त 2016 को राज्यसभा में प्रसूति अवकाश (संशोधन) विधेयक पारित हो गया है। इसमें निजी संस्थानों में कार्यरत कामकाजी महिलाओं के लिए मातृत्व अवकाश की अवधि 12 सप्ताह से बढ़ाकर 26 सप्ताह करने का प्रावधान है। यानी बच्चा पैदा होने पर उन्हें साढ़े छह महीने की छुट्टी मिलेगी। इसमें आठ सप्ताह का अवकाश प्रसव से पूर्व का होगा। सरकारी कर्मचारियों को पहले ही यह सुविधा मिली हुई है। शुक्रवार को संसद का आखिरी दिन है और सरकार इसे लोकसभा में पारित कराने की कोशिश कर सकेगी ताकि इसे जल्द से जल्द लागू किया जा सके।
राज्यसभा में विधेयक पर चर्चा के दौरान विपक्ष के सभी दलों ने सरोगेट मदर को भी इस सुविधा के दायरे में लाने की जोरदार मांग रखी, मगर सरकार ने कहा कि सुझाव पर बाद में विचार किया जाएगा। अभी विधेयक में इस प्रावधान को शामिल करना संभव नहीं। दरअसल, इस विधेयक में यदि कोई महिला सरोगेसी के जरिये बच्चे को प्राप्त करती है तो उसे 12 सप्ताह का अवकाश मिलेगा। लेकिन जिस महिला की कोख में बच्चा पला उसके लिए ऐसा कोई प्रावधान नहीं है। इसी प्रकार
यदि तीन महीने के बच्चे को गोद लेने वाली महिला को भी 12 सप्ताह का मातृत्व अवकाश मिलेगा।
नियोक्ता की जिम्मेदारी होगी कि नियुक्ति के समय वह महिला कर्मचारी को इस अधिनियम की जानकारी देगा। इसमें प्रसूति अवकाश और लाभों के बारे में जानकारी देनी होगी। जिन संस्थानों में दस से ज्यादा कर्मी कार्य करते हैं, वहां यह प्रावधान लागू होगा। मूलत: ईएसआई की दायरे में आने वाले सभी संस्थान इसके दायरे में होंगे।
पाठकों को बता दे की विधेयक के प्रावधानों के अनुसार 26 सप्ताह का मातृत्व अवकाश सिर्फ दो बच्चों के जन्म तक मिलेगा। इसमें छह सप्ताह प्रसव से पूर्व होगा। हालांकि इससे अधिक बच्चे होने पर अवकाश सिर्फ 12 सप्ताह का ही रहेगा। हालांकि सदन में चर्चा के दौरान सदस्यों ने मांग की थी कि दो से अधिक बच्चों के लिए भी इसे बढ़ाया जाना चाहिए।