
महाराष्ट्र बना फ्लाई एश उपयोगिता नीति अपनाने वाला पहला भारतीय राज्य
2016-11-17 : हाल ही में, महाराष्ट्र 15 नवंबर 2016 को भारत का पहला ऐसा राज्य बन गया जिसने फ्लाई एश उपयोगिता नीति अपना ली। यह नीति कचरे से पैसा बनाकर और पर्यावरण संरक्षण द्वारा समृद्धि का मार्ग प्रशस्त करेगी। नीति को लागू करने का यह फैसला राज्य के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़नवीस की अध्यक्षा में हुआ साप्ताहिक कैबिनेट बैठक में किया गया। नीति के अनुसार, ताप विद्युत संयंत्रों और बायोगैस संयंत्रों से पैदा होने वाले शत– प्रतिशत फ्लाई ऐश का उपयोग निर्माण गतिविधियों में किया जाएगा। इनका प्रयोग ईंट, ब्लॉक, टाइलें, दीवार के पैनल, सीमेंट और अन्य निर्माण संबंधी सामग्रियों को बनाने में किया जाएगा। नीति इन फ्लाई एश का उपयोग बिजली संयंत्र के 300 किमी दायरे के भीतर करने की भी अनुमति देती है। इससे पहले सिर्फ 100 किमी दायरे में इसके इस्तेमाल की अनुमति थी। यह नीति विद्युत संयंत्र वाले इलाकों में रोजगार के नए अवसर पैदा करेगी।
फ्लाई एश के बारे में :-
# फ्लाई एश कोयला दहन उत्पादों में से एक है।
# यह ईंधन गैसों के साथ बॉयलर से बाहर निकलने वाला बारीक कणों से मिल कर बनता है।
# आधुनिक कोयला बिजली संयंत्रों में आमतौर पर इलेक्ट्रोस्टैटिक प्रेसीपिटेटर्स या अन्य कण निस्पंदन उपकरण द्वारा इंध गैसों के चिमनियों में पहुंचने से पहले ही फ्लाई एश को इक्टठा कर लिया जाता है।
# फ्लाई एश में पर्याप्त मात्रा में सिलिकॉन डाईऑक्साइड, एल्यूमीनियम ऑक्साइड और कैल्शियम ऑक्साइड होता है।