 
								ग्लोबल वार्मिंग के कारण सदी के अंत तक 6 में से 1 प्रजाति के विलुप्त होने का खतरा |
                                    0000-00-00 : ग्लोबल वार्मिंग के कारण उत्सर्जित होने वाले कार्बन डाइऑक्साइड के कारण इस सदी के अंत तक प्रत्येक 6 में से 1 प्रजाति विलुप्त होने का कगार पर है |  इस तथ्य का खुलासा 1 मई 2015 को साइंस जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन द्वारा किया गया था | 
कनेक्टिकट विश्वविद्यालय में पारिस्थितिकी विभाग में कार्यरत मार्क सी (Mark C) इस अध्ययन के लेखक हैं | तथा  इस अध्ययन में जलवायु परिवर्तन से होने वाले बदलावों पर शीघ्र ही उपयुक्त कदम उठाने पर भी बल दिया गया है |
 
अध्ययन के मुख्य बिंदु इस प्रकार है : 
 (i) जलवायु परिवर्तन से भविष्य में विलुप्त होने वाले प्राणियों पर खतरा पहले से अधिक बढ़ा है | 
 (ii) वैश्विक स्तर पर विलुप्त होने का खतरा 2.8 प्रतिशत से बढ़कर 5.2 प्रतिशत हो सकता है | 
 (iii) कुल 7.9 प्रतिशत प्रजातियों के विलुप्त होने की भविष्यवाणी की गयी है | 
 (iv) यदि वैश्विक तापमान 3 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ता है तो विलुप्त होने का खतरा 8.5 प्रतिशत बढ़ सकता है | 
 (v) यदि हमने जलवायु परिवर्तन पर काबू नहीं किया और इसकी गति यही बनी रही तो एक सदी में 16 प्रजातियां विलुप्त हो जायेंगी | 
 (vi) स्थानीय, उभयचर एवं सरीसृप समूहों की प्रजातियों के विलुप्त होने का खतरा अधिक है. स्थानिक प्रजातियों के लिए अन्य प्रजातियों की तुलना में विलुप्त होने की सम्भावना 6 प्रतिशत अधिक है.									
 
							 
												