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भारत में मेंढक की नई प्रजाति (एस्ट्रोबाट्राचस कुरिचियाना) खोजी गई

भारत में मेंढक की नई प्रजाति (एस्ट्रोबाट्राचस कुरिचियाना) खोजी गई


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2019-03-14 : हाल ही में, भारतीय शोधकर्ताओं की टीम द्वारा दक्षिण-पश्चिम घाट पर मेंढक की नई प्रजाति की खोज की गई है। इस संबंध में एक अध्ययन रिपोर्ट PeerJ नामक साइंस जर्नल में प्रकाशित हुई है। खोजकर्ताओं द्वारा पश्चिमी घाट में रेंगने वाले और उभयचर जीवों की विविधता को उजागर करने के लिए एक विस्तृत सर्वेक्षण किया गया जिसमें मेंढक की इस प्रजाति के नमूने पाए गए हैं। ध्यान दे की इस प्रजाति को “एस्ट्रोबाट्राचस कुरिचियाना” नाम दिया गया है और इसे नए एस्ट्रोबैट्राकिन परिवार के तहत रखा गया है।

इस शोध को इंडियन साइंस इंस्टिट्यूट, बेंगलुरु, फ्लोरिडा नेचुरल हिस्ट्री म्यूजियम, जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया, पुणे तथा जॉर्ज वॉशिंगटन विश्वविद्यालय, अमेरिका द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किया गया। इस सर्वेक्षण में पश्चिम घाट के विभिन्न ऊंचाई वाले स्थानों, अलग-अलग वर्षा क्षेत्रों, विविध प्रकार के आवासों में रहने वाले सरीसृपों और अन्य रेंगने वाले जीवों को शामिल किया गया था।

एस्ट्रोबाट्राचस कुरिचियाना के बारे में :-

# एस्ट्रोबाट्राचस कुरिचियाना प्रजाति के इस मेंढक की पीठ पर काले धब्बों जैसी संरचना होती है।

# शोधकर्ताओं ने पाया है कि खतरे की स्थिति में नर मेंढक अपनी पीठ को उठाकर इन धब्बों को प्रदर्शित करते हैं।

# यह धब्बे इस प्रजाति के मेंढक के लिए रक्षात्मक भूमिका निभाते हैं।

# यह भी पाया गया कि यह मेंढक कीट-पतंगों जैसी आवाज़ निकालकर मादा मेंढक को पुकारते हैं।

# उथले पानी के पोखर के आसपास घास की पत्तियों के नीचे की आमतौर पर नर मेंढक को देखा जाता है।

# शोधकर्ताओं का मानना है कि ज्यादातर समय यह मेंढक छिपे रहते हैं और केवल प्रजनन केलिए ही बाहर निकलते हैं, इसलिए इन्हें पहले बहुत कम देखा गया है।

# वैज्ञानिकों द्वारा किये गये शोध से पता चला है कि इस नई प्रजाति के पूर्वज जैविक विकास के क्रम में लगभग 6-7 करोड़ साल पूर्व अलग हो गए थे।

# यह प्रजाति भारत में खोजी गई है, लेकिन इसके रूप एवं आकृति (विशेषकर त्रिकोणीय अंगुली और पैर की अंगुली की युक्तियां) दक्षिण अमेरिकी और अफ्रीका के मेंढकों जैसी दिखती हैं।

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