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अंतरराष्ट्रीय क्षुद्रग्रह दिवस (International Asteroid Day) मनाया गया

अंतरराष्ट्रीय क्षुद्रग्रह दिवस (International Asteroid Day) मनाया गया


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2020-06-30 : हाल ही में, 30 जून 2020 को दुनियाभर में अंतरराष्ट्रीय क्षुद्रग्रह दिवस (International Asteroid Day) मनाया गया है। पाठकों को बता दे की वर्ष 2017 से प्रत्येक 30 जून को यह दिवस मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र ने क्षुद्रग्रह (एस्टॉरायड) के खतरे को लेकर जागरूकता बढ़ाने के लिए 30 जून, 2017 से इस दिवस को मनाने की घोषणा की थी। दरअसल, 30 जून 1908 को रूस की तुंगुस्का नदी के पास बहुत बड़ा विस्फोट हुआ था, जिसे क्षुद्रग्रह के चलते धरती पर हुआ अब तक का सबसे बड़ा नुकसान बताया जाता है। इसी कारण क्षुद्रग्रह के खतरे को लेकर जागरूक करने के लिए 30 जून को क्षुद्रग्रह दिवस मनाने की शुरुआत हुई। पाठक यह भी ध्यान दे की पहले क्षुद्रग्रह की खोज साल 1801 में खगोलशास्त्री गुइसेप पियाज़ी ने की थी। यह अंतरिक्ष वैज्ञानिकों की तरफ से अब तक खोजा गया सबसे बड़ा क्षुद्रग्रह है।

क्षुद्रग्रह (Asteroid) के बारे में :-

# सौरमंडल में मंगल और बृहस्पति के बीच में बहुत से ऐसे खगोलीय पिंड विचरण करते रहते हैं, जो अपने आकार में ग्रहों से छोटे और उल्का पिंडो से बड़े होते हैं।

# ये सौर प्रणाली के निर्माण के समय बने चट्टानी पिंड हैं, जिसे क्षुद्रग्रह कहा जाता है।

# क्षुद्रग्रह बड़े पैमाने पर सैकड़ों किलोमीटर विस्तृत क्षेत्र में सूर्य की परिक्रमा करते हैं।

# कई लोग क्षुद्रग्रह को ही उल्का पिंड भी कहते हैं, लेकिन जब कोई क्षुद्रग्रह सूर्य का चक्कर लगाने के बाद पृथ्वी पर गिरकर बच जाता है तो उसे उल्का पिंड कहते हैं।

# वहीं जो क्षुद्रग्रह पृथ्वी से टकराने से पहले ही सौर ऊर्जा से जल जाते हैं, उन्हें उल्कापात्र कहा जाता है।

# यह प्रक्रिया निरंतर चलती रहती है। हालांकि, भारत में क्षुद्रग्रह की पृथ्वी से टकराने की घटनाएं काफी कम होती हैं।

# क्षुद्रग्रह आमतौर पर क्षुद्रग्रह बेल्ट में पाए जाते हैं, जो कि सौरमंडल में मंगल और बृहस्पति ग्रह के बीच पाया जाने वाला एक क्षेत्र है। यह वह क्षेत्र है जहां क्षुद्रग्रह सूर्य के चारों ओर परिक्रमा करते हैं।

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