नेपाल ने अपना नया संविधान बनाया |
0000-00-00 : 20 सितंबर 2015 को नेपाल ने राष्ट्रपति राम बरन यादव द्वारा चार्टर की घोषणा के साथ लोकतांत्रिक ढंग से बने पहले संविधान को अपना लिया। प्रतिनिधि संविधान सभा द्वारा इसकी अवधारणा और विकास एवं अपनाए जाने की वजह से इसे लोकतांत्रिक ढंग से बना संविधान कहा जा रहा है। संविधान के अपनाए जाने की इस घटना को ऐतिहासिक माना जा रहा है क्योंकि ऐसा करने के साथ ही नेपाल में संविधान की प्रकृति के बारे में 7– वर्षों से चली आ रही राजनीतिक पार्टियों का संघर्ष खत्म हुआ। इस संघर्ष की शुरुआत 2008 में 239 वर्ष पुरानी राजशाही की समाप्ति के साथ हो गई थी।
इसके अलावा यह भी माना जा रहा है कि नया संविधान अप्रैल 2015 में आए विनाशकारी भूकंप जिसमें करीब 9000 लोगों की जान चली गई थी, नेपाली समाज में ताजी हवा ले कर आएगा। हालांकि, संविधान की स्वीकृति एकमत से नहीं हुई थी। संविधान सभा के कुछ सदस्य खासतौर पर राजभक्त राजनीतिज्ञों ने जो राजशाही पर सरकार के रिपब्लिकन प्रपत्र के समर्थक थे, ने 16 सितंबर 2015 को संविधान के खिलाफ वोट डाले थे।
और इसके अलावा, मधेसी और थारु समुदायों के नीचले प्रदेशों के सदस्य तराई क्षेत्र में संघीय– प्रांतीय सीमांकन और निर्वाचन क्षेत्र के परिसीमन से असंतुष्ट होने की वजह से मतदान प्रक्रिया में अनुपस्थित रहे। उनका असंतोष पहाड़ी समुदाय जो कुल आबादी का 50 फीसदी हैं, को संसद में 100 सीटें मिली हैं जबकि दूसरे आधे हिस्से, तराई क्षेत्र के मधेसियों को 65 सीटें दी गईं हैं, की वजह से था।