
यूनेस्को ने वाराणसी और जयपुर को यूनेस्को क्रिएटिव सिटीज़ नेटवर्क में शामिल किया |
2015-12-12 : हाल ही में भारत के दो शहरों वाराणसी एवं जयपुर को संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) द्वारा 11 दिसंबर 2015 को पहली बार क्रिएटिव सिटीज़ नेटवर्क में शामिल किया गया। वाराणसी को सिटी और म्यूजिक (संगीत) और जयपुर को सिटी ऑफ़ क्राफ्ट एवं फोक आर्ट (शिल्प कला एवं लोक कला) श्रेणी में शामिल किया गया है। यूनेस्को के महानिदेशक इरीना बोकोवा ने 33 देशों के 47 शहरों को यूनेस्को के नये क्रिएटिव सिटीज़ नेटवर्क के सदस्य के रूप में घोषित किया। भारत ने इन श्रेणियों के लिए पहली बार वर्ष 2015 में आवेदन किया था।
वाराणसी सिटी ऑफ़ म्यूजिक के बारे में :-
# वाराणसी को भारत की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक बताते हुए इसे संगीत में अपनी समृद्ध परंपरा के साथ मंदिरों के शहर के रूप में भी दर्ज किया गया।
# वाराणसी का बनारस घराना इस शहर के नाम पर ही रखा गया है। यहां की सांस्कृतिक शैली जैसे, होरी, चैती, टप्पा, दादरा यहां के समृद्ध संगीत कला को दर्शाती है।
# यहां के घाट, हवेलियां एवं मंदिरों में बनारस घराने को सुना जा सकता है साथ ही बनारस हिन्दू विश्वद्यालय के संगीत और नृत्य विभाग का भी इसमें महत्वपूर्ण योगदान है।
जयपुर सिटी ऑफ़ क्राफ्ट्स एंड फोक आर्ट के बारे में :-
# राजस्थान सरकार ने जयपुर को क्रिएटिव सिटीज़ नेटवर्क के अंतर्गत इसे लोक कला एवं शिल्प कला के शहर के रूप में नामांकित किया था।
# यहां 36 प्रकार की शिल्पकलाएं मौजूद हैं जिसमें मूर्तिकला, मिट्टी के बर्तन, कपड़ा और आभूषण बनाना शामिल है।
# 18वीं सदी में राजा सवाई सिंह द्वितीय के समयकाल से अब तक यह शहर कलाकारों का पसंदीदा स्थल है।
यूनेस्को क्रिएटिव सिटीज़ नेटवर्क के बारे में :-
# इसकी स्थापना वर्ष 2004 में शहरी विकास में रचनात्मकता को महत्वपूर्ण कारक के रूप में पहचान दिए जाने के रूप में की गयी थी।
# सांस्कृतिक जीवन में पहुंच और भागीदारी में सुधार करना, इसमें विशेष रूप से समाज में हाशिए पर अथवा कमजोर समूहों व व्यक्तियों की भागीदारी सुनिश्चित करना।
# विकास योजनाओं में संस्कृति और रचनात्मकता को विशेष स्थान प्रदान करना।
# इस नेटवर्क में सात रचनात्मकता क्षेत्रों को शामिल किया गया है: शिल्प और लोक कला, मीडिया कला, फिल्म, डिजाइन, पाक-कला, साहित्य और संगीत।