
सार्वजनिक स्थल पर कचरा फेंका तो 10000 रुपये जुर्माना : NGT
2016-12-21 : हाल ही में, नेशनल ग्रीन टिब्यूनल (एनजीटी)/ राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने सार्वजनिक स्थल पर कचरा फेंकने वालों पर 10 हजार रुपये जुर्माने का प्रावधान किया है। नेशनल ग्रीन टिब्यूनल (एनजीटी) का मानना है कि देश में मुख्य रूप से दिल्ली में कचरा प्रदूषण का अत्यंत गंभीर कारक है। एनजीटी ने सभी निकायों को आदेश दिया कि सभी निकाय ठोस अपशिष्ट प्रबंधन कानून, 2016 (एमएसडब्ल्यू) के तहत कचरा उठाकर उसे ठिकाने लगाएं यह उनकी जिम्मेदारी भी है। पीठ की अध्यक्षता नेशनल ग्रीन टिब्यूनल (एनजीटी) अध्यक्ष न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार ने की।
पीठ ने कहा कि शहरी ठोस कचरा निकालने वाले मुख्य स्थल बड़े होटल, रेस्तरां, बूचड़ खाने, सब्जी मंडी इत्यादि हैं। इन सभी को सम्बंधित निकाय निर्देश दे कि नियमों के तहत वे कचरे को एकत्र करें और उसके सुपुर्द करें। इस मामले में पीठ ने निगमों के आयुक्तों को भी निर्देश दिया है कि वे एक माह में योजना बनाकर एनजीटी के समक्ष प्रस्तुत करें।
एनजीटी के अनुसार कोई भी निकाय, व्यक्ति, होटल, निवासी, बूचड़ खाना, सब्जी मंडी आदि इन आदेशों का पालन नहीं करते हैं और कचरे को नालियों या सार्वजनिक स्थानों इत्यादि पर फेंकते हैं तो ऐसे संस्थानों को पर्यावरणीय मुआवजा भरना होगा। यह राशि प्रति मामले में 10,000 रुपये होगी। एनजीटी पीठ ने प्रदूषण फैलाने वालों पर हर हाल में जुर्माना लागू करने को कहा।
एनजीटी ने स्पष्ट किया कि प्रस्तुत रिपोर्ट में यह भी स्पष्ट उल्लेख किया जाय कि जो लोग कचरे को अलग-अलग करके निगमों को सौंप रहे हैं, उन्हें किस तरह प्रोत्साहित किया जा सकता है। जो निकाय कचरा अलग-अलग करके नहीं दे रहे हैं एनजीटी ने उनको सजा देने पर विचार किए जाने की बात कही। एनजीटी ने निगमों के सभी आयुक्तों को एक माह में उन स्थानों का आंकड़ा देने को कहा है, जहां से कूड़ा पैदा होता है।
पीठ ने यह भी स्पष्ट किया कि दिल्ली में 9,600 मीट्रिक टन कचरा प्रतिदिन निकलता है और इसके निपटान हेतु निकायों के पास स्पष्ट रूपरेखा नहीं है। एनजीटी के अनुसार अगर कचरा निकल रहा है, तो संबंधित व्यक्ति की जिम्मेदारी है कि उसका उचित ढंग से निपटान किया जाए। सभी प्राधिकार वैधानिक दायित्व के तहत कूड़ा एकत्र कराना सुनिश्चित करें। पूरा बोझ सरकार या प्रशासन पर नहीं डाला जा सकता। जनता के स्वास्थ्य पर इसका प्रति कूल प्रभाव न पड़े। पीठ ने यह निर्देश दिल्ली में लैंडफिल साइटों के आस-पास की स्थिति के संबंध में दायर एक याचिका पर दिया।