आयरलैंड ने जनमत संग्रह से ‘गर्भपात’ पर लगे प्रतिबंध को हटाया
2018-05-28 : हाल ही में, आयरलैंड में जनमत संग्रह से गर्भपात पर लगे प्रतिबंध को खत्म कर दिया गया है| यह जनमत संग्रह गर्भपात पर लगे प्रतिबंध को हटाने को लेकर किया गया था| आयरिश के लोगों ने जनमत संग्रह कर 35 साल पूराने गर्भपात प्रतिबंध कानून के खिलाफ वोट देकर एतिहासिक जीत हासिल की है| गर्भपात से प्रतिबंध हटाने के पक्ष में मतदान को प्रेरित करने के लिए आयरलैंड में काफी दिनों से यस कैंपेन चलाया जा रहा था| आयरलैंड में गर्भपात पर प्रतिबंध के प्रस्ताव के विरोध में हुए जनमत संग्रह में दो तिहाई लोगों ने मतदान किया है| मतदान को देखते हुए ऐसा माना जा रहा है कि इस जनमत संग्रह के बाद यहां पर गर्भपात पर लगे बैन को हटाने की पूरी तैयारी हो चुकी है| जनमत संग्रह में 66.4% ने इसके खिलाफ वोट कर इसे संविधान से ही हटाने की मांग की है|
आयरिश कानून के बारे में जानिए महत्वपूर्ण बातें :-
# ऑफेंश अगेंस्ट द पर्सन एक्ट 1861 के मुताबिक गर्भपात पर रोक है|
# वर्ष 1983 में हुए आठवें संशोधन के मुताबिक गर्भपात कराने पर सजा का प्रावधान किया गया|
# इस आयरिश देश में गर्भ को खत्मक करने पर 14 वर्ष तक की सजा का नियम है|
# आयरलैंड में वर्ष 1983 से अब तक 170,000 आयरिश महिलाएं गर्भपात के लिए विदेश जा चुकी है|
# इस बैन को खत्म् करने के पक्ष में डबलिन की सड़कों पर लोग कैंपेन के स्लोरगन के साथ टी-शर्ट पहनकर मार्च किया था|
दरअसल इस ऐतिहासिक जनमत संग्रह के पीछे एक भारतीय महिला रही थी| भारतीय मूल की सविता हलप्पनवार पेशे से डेंटिस्टे थीं| वर्ष 2012 में जब सविता को पता चला कि गर्भ में ही उनका बच्चा मर गया है तो गर्भपात की इजाजत मांगी लेकिन आयरलैंड के कड़े कैथोलिक कानून के चलते उन्हें गर्भपात कराने की इजाजत नही मिली और इस कारण उनकी मौत हो गई| इसके बाद ही मां की ज़िंदगी ख़तरे में होने पर गर्भपात की मंजूरी के लिए वर्ष 2013 में इस क़ानून में बदलाव किया गया था| इस कानून को लेकर इस आयरिश देश में समय-समय पर विरोध प्रदर्शन भी होते रहे हैं, लेकिन भारतीय मूल की सविता की मौत के बाद ये प्रदर्शन और तेज हो गए| यहीं कारण रहा कि लोगों ने इस सख्त कानून के खिलाफ वोट किया|