तमिलनाडु सरकार ने नीलकुरिंजी पौधे के संरक्षण की घोषणा की
2018-09-24 : हाल ही में, तमिलनाडु सरकार ने नीलकुरिंजी नामक पौधे के संरक्षण के लिए योजना की घोषणा की है। पाठकों को बता दे की यह पौधा बारह वर्षों में एक बार खिलता है। हाल ही में सरकार को इस पौधे के फूलों की व्यापारिक बिक्री की शिकायतें मिली थी, जिसके बाद यह कदम उठाया गया। यह एक किस्म का उष्णकटिबंधीय पौधा है। यह पौधा पश्चिमी घाट के शोला वन में पाया जाता है। पूर्वी घाट में यह पौधा शेवरॉय पहाड़ियों में पाया जाता है। यह पौधा केरल में अनामलाई हिल्स और अगाली हिल्स तथा कर्नाटक के संदुरु हिल्स में पाया जाता है।
नीलकुरिंजी पौधे के बारे में और अधिक जानकारी इस प्रकार है....
# इस पौधे की लम्बाई 30 से 60 सेंटीमीटर होती है। यह पौधा 1300 से 2400 मीटर की ऊंचाई वाले स्थानों पर उगता है।
# नीलकुरिंजी के फूल बैंगनी-नीले रंग के होते हैं। इसमें 12 वर्षों में एक बार ही फूल खिलते हैं।
# इन फूलों के कारण ही पश्चिमी घाट की नीलगिरी पहाड़ियों को नीला पर्वत कहा जाता है।
# इसे दुर्लभ किस्म का पौधा घोषित किया गया है।
# यह पश्चिम घाट के अतिरिक्त विश्व के किसी दूसरे हिस्से में नहीं उगता। यह पौधा संकटग्रस्त पौधों की प्रजाति में शामिल है।