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प्रसिद्ध हिंदी लेखक हिमांशु जोशी का निधन

प्रसिद्ध हिंदी लेखक हिमांशु जोशी का निधन


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2018-11-24 : हाल ही में, हिंदी के प्रसिद्ध कथाकार और पत्रकार हिमांशु जोशी का 23 नवंबर 2018 को निधन हो गया। वे 83 वर्ष के थे तथा लंबे समय से बीमार थे। हिमांशु जोशी उत्तराखंड के रहने वाले थे। हिमांशु जोशी ने हिंदी साहित्य में अनेक प्रसिद्ध रचनाएं लिखी थीं। हिमांशु जोशी को हिंदी, अंग्रेजी, उर्दू भाषा का अच्छा ज्ञान था। उन्होंने कई कहानी संग्रह, कविता संग्रह और आंचलिक कहानियां लिखी हैं। हिमांशु जोशी का जन्म 04 मई 1935 में खेतीखान के जोस्यूड़ा गांव में हुआ था। उन्होंने आठवीं तक की शिक्षा खेतीखान के वर्नाकुलर हाईस्कूल में की थी।

हिमांशु जोशी द्वारा लिखित ‘अरण्य’, ‘महासागर’, ‘छाया मत छूना मन’, ‘कगार की आग’, ‘समय साक्षी है’, ‘तुम्हारे लिए’, जैसे प्रमुख उपन्यास अब तक प्रकाशित हो चुके हैं। इसके अलावा कई कहानी संग्रह, कविता संग्रह, यात्रा वृत्तांत और वैचारिक संस्मरण भी प्रकाशित हो चुके हैं। कहानियों में ‘अंतत:’, ‘मनुष्य चिन्ह’, ‘जलते हुए डैने’, तपस्या, गंधर्व कथा, ‘श्रेष्ठ प्रेम कहानियां’, ‘इस बार फिर बर्फ गिरी तो’, ‘नंगे पांवों के निशान’, ‘दस कहानियां’ प्रमुख हैं। अग्नि-सम्भव, नील नदी का वृक्ष, एक आँख की कविता, में उनकी कविताओं के संकलन हैं।

उनके द्वारा लिखित अनेक उपन्यासों और कहानियों का पंजाबी, डोंगरी, उर्दू, गुजराती, मराठी, कोंकणी, तमिल तेलुगु, कन्नड़, मलयालम, उड़िया, बांगला, असमी के अलावा अंग्रेज़ी, नेपाली, बर्मी, चीनी, जापानी इताल्वी, बल्गेरियाई, कोरियाई, नॉर्वेजियन, स्लाव, चेक आदि भाषाओं में अनुवाद भी हो चुका है। ‘छाया मत छूना मन’, ‘मनुष्य चिह्न’, ‘श्रेष्ठ आंचलिक कहानियां’ तथा ‘गंधर्व-गाथा’ को उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान से पुरस्कार मिल चुका है। ‘हिमांशु जोशी की कहानियां’ तथा ‘भारत रत्न: पं। गोबिन्द बल्लभ पन्त’ को हिन्दी अकादमी, दिल्ली का सम्मान प्रदान किया जा चुका है। ‘तीन तारे’ राजभाषा विभाग, बिहार द्वारा पुरस्कृत है।

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