
पाकिस्तान की मशहूर शायरा व लेखिका फहमीदा रियाज़ का निधन
2018-11-22 : हाल ही में, पाकिस्तान की मशहूर लेखिका व शायरा फहमीदा रियाज़ का लंबी बीमारी के बाद 21 नवम्बर 2018 को लाहौर में निधन हो गया है। वे 72 वर्ष की थीं। वे पिछले कुछ समय से बीमार चल रही थीं। फहमीदा को साहित्य जगत में अपनी नारीवादी और क्रांतिकारी विचारधारा के लिए जाना जाता है। पाकिस्तान में वे मानवाधिकारों के लिए भी सक्रिय रही हैं। उनके निधन से उर्दू साहित्य जगत को गहरी क्षति पहुंची है। फहमीदा को महिलाओं के मुद्दों को साहित्य के जरिए उठाने वाली बेहद खास लेखिकाओं में से एक माना जाता है। वे भारत में छह वर्षों तक आत्म-निर्वासन में रही थीं जब सैन्य तानाशाह जनरल जिया-उल-हक का पाकिस्तान पर शासन था।
फहमीदा रियाज़ के बारे में और अधिक जानकारी इस प्रकार है....
# फहमीदा रियाज़ का जन्म 28 जुलाई 1945 को उत्तर प्रदेश के मेरठ में हुआ था।
# वे एक जानी मानी प्रगतिशील उर्दू लेखिका, कवियित्री, मानवाधिकार कार्यकर्ता और नारीवादी थीं।
# फहमीदा रियाज़ की पहली साहित्यिक किताब वर्ष 1967 में प्रकाशित हुई थी जिसका नाम "पत्थर की जुबान" था।
# उनके अन्य कविता संग्रह में धूप, पूरा चांद, आदमी की जिंदगी इत्यादि शामिल हैं। उन्होंने कई उपन्यास भी लिखे जिनमें जिंदा बहर, गोदवरी और करांची प्रमुख हैं।
# उन्होंने जीवन भर सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। चार साल की उम्र में ही पिता की मृत्यु के बाद उनका पालन-पोषण उनकी मां ने किया।
# बचपन से ही साहित्य में रुचि रखने वाली फहमीदा रियाज़ ने उर्दू, सिन्धी और फारसी भाषाएं सीख ली थीं। उन्होंने पढ़ाई पूरी करने के बाद रेडियो पाकिस्तान में न्यूजकास्टर के रूप में काम किया।
# वर्ष 1988 में पहली पीपीपी सरकार में फहमीदा को नेशनल बुक काउंसलि ऑफ पाकिस्तान की मैनेजिंग डायरेक्टर बनाया गया।
# बेनजीर भुट्टो के दूसरे कार्यकाल के दौरान वे संस्कृति मंत्रालय से भी जुड़ी रही। उन्हें वर्ष 2009 में उर्दू डिक्शनरी बोर्ड का मुख्य संपादक नियुक्त किया गया था।