सुप्रीम कोर्ट ने क्रिकेटर श्रीसंत आजीवन प्रतिबंध हटाया
2019-03-15 : हाल ही में, सुप्रीम कोर्ट ने 15 मार्च 2019 को आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग केस में क्रिकेटर एस श्रीसंत पर लगाए गए आजीवन प्रतिबंध को हटा दिया है। जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस के एम जोसेफ की पीठ ने श्रीसंत पर लगा आजीवन प्रतिबंध हटा दिया है। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआई से श्रीसंत की सजा पर फिर से विचार करने के लिए कहा है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि बीसीसीआई की अनुशासनात्मक समिति एस श्रीसंत को दी जाने वाली सजा की मात्रा पर तीन महीने के भीतर पुन: विचार कर सकती है। अदालत ने कहा कि तीन महीने में बीसीसीआई फैसला करे। अदालत ने कहा कि बीसीसीआई श्रीसंत का भी पक्ष सुने।
बता दें कि 2013 में आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग मामला सामने आने के बाद श्रीसंत पर बैन लगाया गया था। साल 2013 में खेले गए आईपीएल में श्रीसंत राजस्थान रॉयल्स के लिए खेल रहे थे, उसी वक्त उन पर स्पॉट फिक्सिंग के आरोप लगे थे। दिल्ली की निचली अदालत उन्हें बरी कर चुकी है,लेकिन केरल हाईकोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को पलटते हुए बीसीसीआई के बैन निर्णय को बरकरार रखा था। दरअसल, बीसीसीआई ने श्रीसंत पर आईपीएल-2013 में स्पॉट फिक्सिंग का दोषी पाए जाने पर अजीवन प्रतिबंध लगाया था। इसके खिलाफ श्रीसंत ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। इससे पहले बीसीसीआई ने कोर्ट में कहा था कि श्रीसंत पर भ्रष्टाचार और सट्टेबाजी करने के आरोप हैं।
स्पॉट फिक्सिंग के बारे में :-
# स्पॉट फिक्सिंग अथवा स्पॉट स्थिरण खेलों में अवैध कार्यों के लिए काम में लिया जाता है जहाँ खेल का एक विशेष भाग स्थिर कर दिया जाता है।
# स्पॉट फिक्सिंग किसी एक खिलाड़ी के द्वारा भी हो सकती है।
# मैच फिक्सिंग पूरे मैच की हार या जीत के लिए होती है, जबकि स्पॉट फिक्सिंग आमतौर पर एक बॉल या एक ओवर के लिए भी हो सकती है।
# स्पॉट फिक्सिंग बल्लेबाजों और फील्डरों के साथ भी की जाती है।
# आमतौर पर बुकीज़ ओवर के हिसाब से बॉलर के साथ सौदा करते हैं, और यह तय किया जाता है कि किस ओवर में कितने रन दिए जाने हैं, किस गेंद पर छक्का या चौका लगेगा या कौन-सी गेंद नो बॉल या वाइड बॉल होगी।