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विज्ञान और पर्यावरण केंद्र द्वारा हीट ऑन पावर शीर्षक से एक रिपोर्ट जारी

विज्ञान और पर्यावरण केंद्र द्वारा हीट ऑन पावर शीर्षक से एक रिपोर्ट जारी


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0000-00-00 : विज्ञान और पर्यावरण केंद्र(सीएसई) ने 22 फ़रवरी 2015 को हीट ऑन पावर ऑन शीर्षक से एक रिपोर्ट जारी की. रिपोर्ट में भारतीय कोयला आधारित ताप विद्युत संयंत्र को दुनिया का सबसे अक्षम उर्जा का स्रोत बताया गया है. यह रिपोर्ट भारत में हरित क्रांति के पिता एमएस स्वामीनाथन की ओर से जारी की गई है यह रिपोर्ट सीएसई के ग्रीन रेटिंग प्रोजेक्ट(जीआरपी) के तहत आयोजित किए गए दो साल लंबे शोध अध्ययन के बाद जारी की गई. भारत में कोयला क्षेत्र पर यह अपनी तरह का पहला अध्ययन है. यह अध्ययन पर्यावरण पर कोयला क्षेत्र के प्रभाव की एक साफ तस्वीर देने के उद्देश्य से आयोजित किया गया. अनुसंधान के निष्कर्ष •रिपोर्ट में बताया गया है की अक्षम संसाधनों के उपयोग और तकनीकी पिछड़ापन प्रदूषण के उच्च स्तर के लिए जिम्मेदार है. •संयंत्र अपनी क्षमता का सिर्फ 60-70 प्रतिशत ही उपयोग करते हैं. यदि संयंत्र अपनी पूर्ण क्षमता का उपयोग करें तो अतिरिक्त संयंत्रों के निर्माण के बिना बिजली की आवश्यकता को पूरा किया जा सकता है. •दिल्ली में एनटीपीसी का बदरपुर संयंत्र देश में सबसे अधिक प्रदूषण करने वाला संयंत्र है. •55 प्रतिशत इकाइयां वायु प्रदूषण के मानकों का उल्लंघन कर रही हैं . भारत में पीएम मानदंड 150-350 मिलीग्राम प्रति सामान्य घन मीटर है जबकि चीन में 30 मिलीग्राम प्रति सामान्य घन मीटर है. •राख का निस्तारिकरण एक बहुत बड़ी समस्या है क्योंकि 170 लाख टन राख में 50 से 60 प्रतिशत का तो उपयोग कर लिया जाता है पर बाकी राख को तालाबों में फेंक दिया जाता है जिससे जमीन, हवा और पानी में प्रदूषण होता है. •20 संयंत्रों के नदी और जलाशयों में प्रदूषित राख घोल पाए गए हैं जो एक विषाक्त भारी धातु है. •40 प्रतिशत संयत्र अपशिष्टों के लिए कुल निलंबित ठोस(टीएसएस) के मानदंडों को पूरा नहीं करते हैं. •60 प्रतिशत संयंत्रों ने अपशिष्टों के उपचार के लिए संयंत्र स्थापित नहीं किए हैं. •47 में से 36 संयंत्र पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के 90 प्रतिशत ठोस अपशिष्ट(राख) के उपयोग के अनिवार्य लक्ष्य को पूरा करने में असमर्थ हैं. •रिपोर्ट के रिलीज के अवसर पर तीन शीर्ष विद्युत संयंत्रों को उनके पर्यावरण के प्रदर्शन के लिए सम्मानित किया गया अन्य दो को ऊर्जा और पानी के रूप में संसाधनों की कुशल उपयोग के लिए पुरस्कार प्रदान किया किया गया. •शीर्ष में शामिल संयंत्र पश्चिम बंगाल सीईएससी-बज बज, जेएसईडब्लूएल तोरानागाल्लू, टाटा-ट्रॉम्बे (महाराष्ट्र) और जेएसडब्ल्यू-रत्नागिरी (महाराष्ट्र) हैं. •टाटा-मुंद्रा गुजरात ने उच्चतम ऊर्जा दक्षता रखने के लिए पुरस्कार प्राप्त किया और गुजरात इंडस्ट्रीज पावर कंपनी लिमिटेड सूरत ने सबसे कम पानी के उपयोग के लिए पुरस्कार जीता. ग्रीन रेटिंग परियोजना •ग्रीन रेटिंग परियोजना दुनिया की कुछ सार्वजनिक रूप में से अपनी रिपोर्ट को प्रकाशित करने वाली कुछ परियोजनाओं में से एक है जिसमे गैर-सरकारी, गैर उद्योग संगठन उद्योगों के पर्यावरण पर प्रभाव को सार्वजनिक किया जाता हैं. •यह परियोजना 1997 में शुरू की गई थी और इसके द्वारा अब तक पांच प्रमुख औद्योगिक क्षेत्रों का मूल्यांकन किया गया है जिसमे लुगदी और कागज, लोहा और इस्पात, सीमेंट और ऑटोमोबाइल क्षेत्र शामिल हैं.कोयला आधारित बिजली क्षेत्र को इसने छठे स्थान पर रखा है.

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