
राष्ट्रीय भूविज्ञान पुरस्कार 2013 हेतु देश के 23 भूवैज्ञानिकों का चयन |
0000-00-00 : इस्पात एवं खान मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने "राष्ट्रीय भूविज्ञान पुरस्कार-2013" के लिए कुल 23 विजेताओं की घोषणा नई दिल्ली में 2 अप्रैल 2015 को की | यह पुरस्कार राष्ट्रपति भवन के सांस्कृतिक केंद्र में आयोजित राष्ट्रीय भूविज्ञान पुरस्कार-2013 वितरण समारोह में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी द्वारा 6 अप्रैल 2015 को दिया जाना है | यह पुरस्कार भूवैज्ञानिकों को राष्ट्रीय स्तर पर मौलिक या प्रायोगिक भू–विज्ञान, खनन एवं संबंधित क्षेत्रों में असाधारण उपलब्धियों एवं उल्लेखनीय योगदान के लिए दिया जाता है | इसके लिए आठ क्षेत्रों में 23 भू-वैज्ञानिकों का चयन किया गया | इसके अंतर्गत आठ क्षेत्र निम्नवत हैं | (i) खनिज खोज एवं अन्वेषण क्षेत्र : पांच पुरस्कार | (ii) कोयला व लिग्नाइट तथा कोल बेड मिथेन खोज एवं उत्खनन क्षेत्र : पांच पुरस्कार | (iii) भूजल अन्वेषण क्षेत्र : तीन पुरस्कार | (iv) खनन प्रौद्योगिकी क्षेत्र : दो पुरस्कार | (v) भू-पर्यावरणीय अध्ययन : दो पुरस्कार | (vi) खनिज लाभकारी क्षेत्र, सतत खनिज विकास क्षेत्र : एक पुरस्कार | (vii) मौलिक भू-विज्ञान क्षेत्र : एक पुरस्कार | (viii) समुद्री विकास क्षेत्र व भू-सूचना प्रणाली क्षेत्र : एक पुरस्कार | राष्ट्रीय भूविज्ञान पुरस्कार के बारे मैं : राष्ट्रीय भूविज्ञान पुरस्कार देश में भू-विज्ञान के क्षेत्र में प्रतिष्ठित पुरस्कार माने जाते हैं | ये पुरस्कार पहले "राष्ट्रीय खनिज पुरस्कार" के नाम से जाने जाते थे, जिनका शुभारंभ भारत सरकार के खान मंत्रालय ने वर्ष 1966 में किया था | वर्ष 2009 में इन पुरस्कारों का नाम बदल कर राष्ट्रीय भूविज्ञान पुरस्कार (एनजीए) रख दिया गया और इनका दायरा बढ़ा दिया गया | देश का कोई भी नागरिक, जो प्रोफेशनल तौर पर योग्य वैज्ञानिक/अभियंता/तकनीकीविद/शिक्षाविद हैं और जिन्होंने पृथ्वी विज्ञान के किसी भी क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दिया है, वे राष्ट्रीय भूविज्ञान पुरस्कार पाने के अधिकारी हैं |