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केंद्र सरकार ने 14वें वित्त आयोग की सिफारिश स्वीकार की.

केंद्र सरकार ने 14वें वित्त आयोग की सिफारिश स्वीकार की.


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0000-00-00 : केंद्र सरकार ने 14 वें वित्त आयोग की सिफारिशों को फरवरी 2015 के तीसरे सप्ताह में पूरी तरह स्वीकार करने की घोषणा की. इससे राज्यों को मिलने वाली धनराशि में बढोत्तरी होने की संभावना है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्यों के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर यह जानकारी दी. केंद्र सरकार ने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पूर्व गवर्नर डॉ. वाईवी रेड्डी की अध्यक्षता में 14वें वित्त आयोग का गठन किया किया था. आयोग ने 15 दिसंबर 2014 को अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति को सौंपी थी. संबंधित मुख्य तथ्य : • राज्यों को संसाधनों के हस्तांतरण के लिए कर हस्तांतरण प्राथमिक मार्ग होना चाहिए. • 14 वें वित्त आयोग की सिफारिशों के अनुसार राज्यों को विभाज्य पूल से किये जाने वाले अंतरण में 10 प्रतिशत की बढोत्तरी की गयी है. • राज्यों को दिये जाने वाले अनुदान को दो भागों में विभाजित किया जाना सुनिश्चित है; क) विधिवत ग्राम पंचायतों का गठन करने के लिए अनुदान ख) विधिवत नगर निकायों का गठन करने के लिए अनुदान • वर्ष 2014-15 की तुलना में वर्ष 2015-16 मे राज्यों को कुल हस्तांतरण अधिक होगा. • अनुदान को दो भागों में विभाजित किया जाना चाहिए और इसमें जो बुनियादी अनुदान शामिल वह ग्राम पंचायतों और नगर निकायों के प्रदर्शन पर निर्भर करता है. प्रदर्शन अनुदान नगर पालिकाओं के लिए 90:10 एवं पंचायतों के लिए 80:20 निर्धारित है. • 14वें वित्त आयोग के अनुसार राज्यों को वर्ष 2014-15 में 348,000 करोड़ रुपये और वर्ष 2015-16 में 526,000 करोड़ रुपये दिए जाएंगे. • राज्य के योजना राजस्व खर्च के लिए दी जाने वाली सारी केन्द्रीय सहायता को राज्य के राजस्व खर्च का हिस्सा माना गया है और इसी आधार पर हस्तांतरण निर्धारित किया गया है. • केंद्र सरकार से अनुदानों और योजनाओं से आधरित सहायता से हटकर कर-अंतरण की दिशा में बदलाव किया गया है. इसलिए विभाज्य पूल का 42 प्रतिशत अंतरण हो रहा है. • वर्ष 2015-20 के दौरान की अवधि में राज्यों के राजस्व और खर्चो का आकलन करने के बाद वित्त आयोग ने 11 राज्यों के घाटे की क्षतिपूर्ति के लिए कुल 1.94 करोड़ रुपये की सहायता देने का सुझाव दिया था. विश्लेषण : 14 वें वित्त आयोग की सिफारिशों से केंद्र सरकार की वित्त-व्यवस्था पर भारी प्रभाव पड़ेगा, लेकिन सरकार ने इन्हें स्वीकार करने का फैसला किया. इसपर वर्तमान केंद्र सरकार का तर्क है कि वित्तीय अनुशासन को ध्यान में रखते हुये राज्यों को अधिक वित्तीय मजबूती और स्वायत्ता के साथ अपने कार्यक्रम और योजना तैयार करने की छूट दी जानी चाहिये. विदित हो कि आमतौर पर राज्यों का भी यही विचार रहा है कि ज्यादातर संसाधन, कर-अंतरण के रूप में मिले और केंद्र प्रायोजित योजनाओं की संख्या कम की जाए. इस प्रकार, केंद्र सरकार से अनुदानों और योजनाओं से आधरित सहायता से हटकर कर-अंतरण की दिशा में बदलाव किया गया है. वित्त आयोग से संबंधित मुख्य तथ्य वित्त आयोग का गठन भारतीय संविधान के अनुच्छेद 280 के तहत राष्ट्रपति द्वारा किया जाता है. आयोग का गठन केंद्र एवं राज्य के बीच वित्तीय संबंधों को परिभाषित करने के उद्देश्य से किया जाता है. भारतीय संविधान के अनुसार आयोग का गठन प्रत्येक पांच वर्षों के लिए होगा और इसमें एक अध्यक्ष एवं चार अन्य सदस्य होंगे. भारत का पहला वित्त आयोग वर्ष 1951 में गठित किया गया था जिसके अध्यक्ष के. सी. नेगी थे. उनकी योजना का संचालन वर्ष 1952– 57 के दौरान किया गया था. 13वां वित्त आयोग वर्ष 2007 में गठित हुआ और भूतपूर्व केंद्रीय वित्त सचिव और वित्त मंत्री के सलाहकार डॉ. विजय एल. केलकर इसके अध्यक्ष थे. उनकी योजना वर्ष 2010–15 के दौरान परिचालित की गई थी.

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