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मदर टेरेसा को मिली संत की उपाधि

मदर टेरेसा को मिली संत की उपाधि


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2016-09-04 : हाल ही में, 4 सितम्बर 2016 को अपने जीवनकाल में ही गरीबों की संत’ और हजारों जरूरतमंदों के लिए ‘जीवित ईश्वर’ कहला चुकीं मदर टेरेसा को अब वेटिकन सिटी के एक समारोह में पोप जॉन पॉल द्वितीय के हाथों संत टेरेसा की औपचारिक उपाधि दी गई है। स्कोप्ये (मेसेडोनिया) में जन्मीं कैथोलिक नन एग्नेस गोंक्शे बोयाशियु का लोगों की सेवा के लिए पश्चिम बंगाल तक आना और गरीबों के लिए काम करना अपने आप में एक ‘चमत्कार’ है लेकिन गरीबों की सेवा का असीम हौसला अपने अंदर समेटे कमजोर सी महिला के बारे में यह कहना अतार्किक जैसा है कि उसने दो रोगियों को स्वस्थ कर ‘चमत्कार’ किया।

मदर टेरेसा के नाम से इन कथित चमत्कारों को जोड़े बिना भी उन्हें संत बनाया जा सकता था। यहां इस बात का उल्लेख करना जरूरी है कि भारत के संविधान का अनुच्छेद 51 ए (एच) ‘वैज्ञानिक दृष्टिकोण, मानवीयता और जांच एवं सुधार की भावना का विकास’ करने पर जोर देता है।

यहीं इन कथित चमत्कारों और आधुनिक विज्ञान की समझ के बीच टकराव पैदा होता है। लेकिन भारत एक ऐसी जटिल सभ्यता है, जहां आस्था, विज्ञान, धर्म और अंधविश्वास सब एकसाथ प्राय: सदभाव के साथ रहते हैं। हालांकि कभी-कभी इनमें टकराव भी दिखाई देता है।

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