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यूनेस्को ने कुंभ मेले को भारत की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर का दर्जा दिया

यूनेस्को ने कुंभ मेले को भारत की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर का दर्जा दिया


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2017-12-08 : भारत के प्रसिद्ध धार्मिक उत्सवों में शामिल कुंभ मेला भारत की प्राचीन संस्कृति का प्रतीक है, इसी महत्व को समझते हुए संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) ने 07 दिसंबर 2017 को कुंभ मेले को भारत के लिए “मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर” के रूप में मान्यता प्रदान की। अंतरराष्ट्रीय संगठन यूनेस्को ने अपने ट्विटर अकाउंट पर यह जानकारी प्रदर्शित की।

कुंभ मेले के बारे में :-

# यह माना जाता है कि कुंभ मेले की शुरुआत आदि शंकराचार्य ने की थी तथा इसे लगभग 855 वर्ष पूर्व आरंभ किया गया था। साथ ही कुछ पौराणिक कथाओं के अनुसार माना जाता है कि कुंभ मेले की शुरुआत समुद्र मंथन के समय हुई थी।

# प्राचीन कथाओं के अनुसार हरिद्वार, इलाहाबाद (प्रयाग), उज्जैन तथा नासिक में मंथन में प्राप्त हुए कलश से अमृत की बूंदें गिरी थीं, तभी से इन स्थानों पर कुंभ मेला आयोजित किया जाता है। प्रत्येक 12 वर्ष बाद कुंभ अपने पहले स्थान पर पहुंचता है।

# कुंभ योग के विषय में विष्णु पुराण में उल्लेख किया गया है। विष्णु पुराण में कहा गया है कि जब गुरु कुंभ राशि में होता है और सूर्य मेष राशि में प्रवेश करता है तब हरिद्वार में कुंभ लगता है। वर्ष 1986, 1998, 2010 के बाद हरिद्वार में अगला महाकुंभ मेला 2022 में लगेगा।

# कुंभ पर्व हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जिसमें करोड़ों श्रद्धालु कुंभ पर्व स्थल में स्नान करते हैं। हरिद्वार और प्रयाग में दो कुंभ पर्वों के बीच छह वर्ष के अंतराल में अर्धकुंभ भी होता है।

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