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बिहार की ‘शाही लीची’ को जीआई टैग प्राप्त हुआ

बिहार की ‘शाही लीची’ को जीआई टैग प्राप्त हुआ


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2018-10-20 : हाल ही में, बिहार के मुजफ्फरपुर में उगाई जाने वाली ‘शाही लीची’ को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान प्राप्त हुई है। बौद्धिक संपदा कानून के तहत ‘शाही लीची’ को अब जीआई टैग (जियोग्राफिकल आइडेंटिफिकेशन) दे दिया गया है। बिहार लीची उत्पादक संघ ने जून 2016 को जीआई रजिस्ट्री कार्यालय में ‘शाही लीची’ के जीआई टैग के लिए आवेदन किया था। जीआई टैग मिलने से ‘शाही लीची’ की बिक्री में नकल या गड़बड़ी की आशंकाएं काफी कम हो जाएंगी। बिहार की लीची की प्रजातियों में चायना, लौगिया, कसैलिया, कलकतिया सहित कई प्रजातियां है लेकिन शाही लीची को श्रेष्ठ माना जाता है।

यह काफी रसीली होती है। गोलाकार होने के साथ इसमें बीज छोटा होता है। यह स्वाद में काफी मीठी होती है। इसमें एक विशेष सुगंध भी होती है। बिहार के मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर, वैशाली और पूर्वी चंपारण शाही लीची के प्रमुख उत्पादक क्षेत्र हैं। देश में कुल लीची उत्पादन का आधा से अधिक लीची का उत्पादन बिहार में होता है। आंकड़ों के मुताबिक बिहार में 32,000 हेक्टेयर में लीची की खेती की जाती है। यहां कुल 300 मैट्रिक टन लीची का उत्पादन होता है। बिहार के कुल लीची उत्पादन में से 70 फीसदी उत्पादन मुजफ्फरपुर में होता है। मुजफ्फरपुर में 18 हजार हैक्टेयर क्षेत्र में लीची की खेती होती है।

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