केरल का प्रसिद्ध त्रिशूर पूरम उत्सव आरंभ हुआ
2019-05-13 : हाल ही में, केरल का प्रसिद्ध उत्सव त्रिशूर पूरम 13 मई 2019 को आरंभ हुआ। उत्सव का आरंभ 54 वर्षीय हाथी द्वारा किया गया। इस उत्सव के उद्घाटन समारोह में लगभग 10,000 लोग शामिल हुए। वडक्कुमनाथन मंदिर में तेचीकोत्तूकावु रामचंद्रन (Thechikottukavu Ramachandran) नामक इस गजराज को वाहन से लाया गया था। गजराज ने प्रतीकात्मक रूप से मंदिर के दक्षिणी प्रवेश द्वार को धक्का देकर खोला, जो उत्सव के शुभारंभ का संकेत था। यह उत्सव लगातार 36 घंटे तक मनाया जाता है।
बता दे की यह केरल का वार्षिक उत्सव है जो वल्लुनावाडु क्षेत्र में स्थित देवी दुर्गा और भगवान शिव को समर्पित है। इस उत्सव में रंग-बिरंगे परिधानों में सजे लोग तथा हाथियों की साज-सज्जा विशेष आकर्षण का केंद्र होते हैं। त्रिशूर पूरम में रात भर जहां पटाखे चलाए जाते हैं, हाथियों की झांकियां निकाली जाती हैं तथा प्रसाद का वितरण किया जाता है।
त्रिशूर पूरम दक्षिण भारत का एक महत्वपूर्ण उत्सव है जिसे केरल में आयोजित किया जाता है। इस उत्सव में स्थानीय ही नहीं बल्कि सैंकड़ों पर्यटक भी शामिल होते हैं। इसकी शुरुआत शक्थान थम्पूरन द्वारा की गई थी, शक्थान कोच्ची का एक शासक था। उस समय से ही दस मंदिरों को शामिल करके इस उत्सव को मनाया जाता है जिसमें परमेक्कावु, थिरुवमबाड़ी कनिमंगलम, करमकु, लल्लूर, चूरकोट्टुकरा, पनामुक्कमपल्ली, अय्यनथोले, चेम्बुकावु और नेथिलाकवु मंदिर शामिल हैं। उत्सव में 30 हाथियों को पूरी साज-सज्जा के साथ शामिल किया जाता है। इस दौरान पारंपरिक वाद्य यंत्रों के साथ इलान्जिथारा मेलम नामक लाइव परफॉरमेंस भी आयोजित की जाती हैं। इस दौरान लगभग 250 कलाकार भाग लेते हैं।