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चंद्र शेखर आज़ाद की 113वीं जयंती मनाई गयी

चंद्र शेखर आज़ाद की 113वीं जयंती मनाई गयी


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2019-07-23 : हाल ही में, समस्त भारत में 23 जुलाई 2019 को चंद्र शेखर आज़ाद की 113वीं जयंती मनाई गयी। देश की आजादी के लिए उन्होंने अपनी आहुति दे दी थी। चंद्रशेखर आजाद एक दृढ़ एवं निश्चयी क्रांतिकारी थे। उन्होंने स्वयं से पहले देश के बारे में सोचा था। चंद्रशेखर आजाद एक निर्भीक और दृढ़ निश्चयी क्रांतिकारी थे। उन्होंने देश की आजादी के लिए अपने जीवन की आहुति दे दी। उनकी वीरता की गाथा देशवासियों के लिए एक प्रेरणा का स्रोत है। ध्यान दे की चंद्रशेखर का जन्म 23 जुलाई 1906 को मध्य प्रदेश के झाबुआ जिले में हुआ था।

चंद्रशेखर आजाद बचपन में महात्मा गांधी से काफी प्रभावित थे। वे दिसंबर 1921 में गांधी जी के असहयोग आंदोलन का हिस्साच थे। उस समय चंद्रशेखर आजाद की आयु महज 14 वर्ष थी। उन्हें पहली बार गिरफ़्तार होने पर 15 कोड़ों की सजा दी गई। उन्होंने हर कोड़े के वार पर “वन्दे मातरम्” और “महात्मा गांधी की जय” बोलते गये। वे इसके बाद सार्वजनिक रूप से “आजाद” पुकारे जाने लगे। उनका प्रारम्भिक जीवन आदिवासी इलाके में बीता इसलिए बचपन में उन्होंने भील बालकों के साथ खूब धनुष बाण चलाए। उन्होंने इस प्रकार निशानेबाजी बचपन में ही सीख ली थी।

चंद्रशेखर आजाद और रामप्रसाद बिस्मिल ने साथी क्रांतिकारियों के साथ मिलकर ब्रिटिश खजाना लूटने और हथियार खरीदने हेतु ऐतिहासिक काकोरी ट्रेन डकैती को अंजाम दिया। इस घटना ने ब्रिटिश सरकार को जड़ से हिलाकर रख दिया था। ब्रिटिश पुलिस ने 27 फरवरी 1931 को इलाहाबाद के अल्फ्रेड पार्क में चंद्रशेखर आजाद को चारों तरफ से घेर लिया। उन्होंने 20 मिनट तक पुलिस वालों के साथ अकेले ही लड़ते रहे। जब उनके पास बस एक गोली बची तो उन्होंने उसे खुद को मार ली और इस तरह वह शहीद हो गये।

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