
Saraswati Samman 2020 : मराठी लेखक शरण कुमार लिंबाले को मिला
2021-03-31 : हाल ही में, के.के. बिरला फाउंडेशन द्वारा डॉ. शरणकुमार लिंबाले के मराठी उपन्यास "सनातन" को वर्ष 2020 के सरस्वती सम्मान (Saraswati Samman 2020) के लिए चुना गया है। पाठकों को बता दे की मराठी भाषा का यह उपन्यास 2018 में प्रकाशित हुआ था। मराठी उपन्यास सनातन मुगल और ब्रिटिश कालखंड के इतिहास पर नए रूप में प्रकाश डालता है। यह संपूर्ण कालखंड राजा-महाराजाओं की लड़ाइयों और संधियों का कालखंड रहा। इस कालखंड का सामाजिक इतिहास इस उपन्यास ने उजागर किया है।
सरस्वती सम्मान के बारें में :-
# सरस्वती सम्मान 1991 से दिया जा रहा है, जो देश का उच्चतम साहित्यिक सम्मान माना जाने लगा है।
# यह सम्मान प्रतिवर्ष किसी भारतीय नागरिक की एक ऐसी उत्कृष्ट साहित्यिक कृति को दिया जाता है जो भारत के संविधान की आठवीं अनुसूची में उल्लिखित किसी भी भारतीय भाषा में सम्मान वर्ष से पहले 10 वर्ष की अवधि में प्रकाशित हुई हो।
# इस सम्मान में 15 लाख रुपये की पुरस्कार राशि के साथ प्रशस्ति और प्रतीक चिह्न भेंट किया जाता है।
डॉ. शरणकुमार लिंबाले के बारें में :-
# डॉ. शरणकुमार लिंबाले का जन्म एक जून, 1956 जिला सोलापुर के हन्नूर गांव में हुआ।
# लिंबाले विख्यात एवं विशिष्ट मराठी उपन्यासकार हैं।
# शिवाजी विश्वविद्यालय, कोल्हापुर से मराठी भाषा में एम.ए. करने के बाद उन्होंने यहीं से मराठी दलित साहित्य और अमेरिकन ब्लैक साहित्य-एक तुलनात्मक अध्ययन विषय पर पीएचडी की उपाधि प्राप्त की।
# डॉ. शरणकुमार लिंबाले यशवंतराव चव्हाण, महाराष्ट्र मुक्त विद्यापीठ, नासिक के प्रकाशन विभाग में सहायक संपादक के पद पर कार्य करते हुए इसी विश्वविद्यालय से प्रोफेसर एवं निदेशक पद से सेवानिवृत्त हुए।
# उन्होंने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठियों के लिए शोधपरक लेखन किया है।