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गुजरात विधानसभा ने आतंकवाद व संगठित अपराध रोकने हेतु

गुजरात विधानसभा ने आतंकवाद व संगठित अपराध रोकने हेतु "गुजटोक" विधेयक पारित किया


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0000-00-00 : गुजरात विधानसभा ने 31 मार्च 2015 को आतंकवाद व संगठित अपराध रोकने हेतु "गुजटोक" विधेयक (GCTOCB) पारित किया गया | यह विधेयक पूर्व में विवादित रही "गुजकोक" विधेयक के स्थान पर पारित हुआ था | गुजकोक विधेयक को पहले तीन बार गुजरात विधानसभा से पारित किया जा चुका था, लेकिन राष्ट्रपति ने आपत्तिजनक प्रावधानों के कारण उसे मंजूरी नहीं दी | विदित हो कि गुजरात सरकार पिछले 12 साल से आतंकवाद व संगठित अपराध रोकने के लिए कठोर कानून बनाने की कोशिश कर रही है | कांग्रेस के कड़े विरोध के बीच इस विधेयक को नए नाम से चौथी बार विधानसभा से पारित कर दिया गया | गुजरात के गृह राज्य मंत्री रजनीकांत पटेल ने विधानसभा में गुजरात कंट्रोल ऑफ टेररिज्म एंड आर्गनाइज्ड क्राइम (जीसीटीओसी) विधेयक 2015 पेश किया | इन प्रावधानों पर आपत्ति : (i) इस विधेयक की धारा 14 के अनुसार किसी आरोपी की फोन पर बातचीत का टेप सुबूत के तौर पर कोर्ट में मान्य होगा | तथा इस पर किसी अन्य कानून का कोई असर नहीं होगा | आपत्ति:- भारतीय साक्ष्य अधिनियम में फोन पर बातचीत को सुबूत नहीं माना जाता है | (ii) धारा 16 के अनुसार आरोपी का पुलिस अधीक्षक स्तर के अधिकारी के समक्ष दर्ज कराया गया बयान सुबूत माना जाएगा | आपत्ति:- दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 164 के तहत किसी मजिस्ट्रेट के समक्ष दर्ज बयान को ही सुबूत माना जाता है | (iii) धारा 20 (2) (बी) के अनुसार जांच पूरी करने या आरोप पत्र दायर करने की तय अवधि 180 दिन तक बढ़ाई जाएगी | आपत्ति:- वर्तमान में 90 दिन में आरोप पत्र पेश न हो तो आरोपी को रिहा कर दिया जाता है | छह माह तक बिना आरोप जेल में रखना अनुचित | (iv) धारा 20 (4) के तहत किसी आरोपी को निजी मुचलके पर रिहा नहीं किया जा सकेगा | आपत्ति:- यह प्रावधान असंवैधानिक है | यह आरोपी की रिहाई के अधिकार के खिलाफ है | (v) गुजटोक में दर्ज केस की सुनवाई सिर्फ विशेष अदालतों में ही होगी | आपत्ति:- विशेष अदालतों में सुनवाई में देरी होने पर आरोपी त्वरित न्याय से वंचित रहेगा |

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