Forgot password?    Sign UP
कृष्णा सोबती को 53वें ज्ञानपीठ पुरस्कार हेतु चुना गया

कृष्णा सोबती को 53वें ज्ञानपीठ पुरस्कार हेतु चुना गया


Advertisement :

2018-02-12 : भारत का सर्वोच्च साहित्यिक सम्मान ज्ञानपीठ पुरस्कार हिंदी की वरिष्ठ साहित्यकार कृष्णा सोबती को दिया जायेगा। बता दे की कृष्णा सोबती को वर्ष 2017 के लिए यह पुरस्कार दिया जायेगा। प्रवर परिषद की बैठक में प्रो. नामवर सिंह की अध्यक्षता में 53वां ज्ञानपीठ पुरस्कार हिंदी साहित्य की वरिष्ठ साहित्यकार कृष्णा सोबती को देने का निर्णय किया गया। यह पुरस्कार साहित्य के क्षेत्र में उनके उत्कृष्ट कार्य के लिए प्रदान किया जाएगा।

कृष्णा सोबती के बारे में :-

# कृष्णा सोबती का जन्म 18 फरवरी 1924 को गुजरात (वर्तमान पाकिस्तान) में हुआ। उन्हें साहसपूर्ण रचनात्मक अभिव्यक्ति के लिए जाना जाता है।

# 1950 में कहानी ‘लामा’ से साहित्यिक सफर शुरू करने वाली सोबती स्त्री की आजादी और न्याय की पक्षधर रहीं हैं।

# उनके रचनाकर्म में निर्भिकता, खुलापन और भाषागत प्रयोगशीलता स्पष्ट परिलक्षित होती है।

# कृष्णा सोबती को उनके उपन्यास ‘जिंदगीनामा’ के लिए साल 1980 का साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला था।

# उन्हें 1996 में अकादमी के उच्चतम सम्मान ‘साहित्य अकादमी फैलोशिप’ से नवाजा गया था।

# इसके अलावा कृष्णा सोबती को पद्मभूषण, व्यास सम्मान, शलाका सम्मान से भी नवाजा जा चुका है।

# कृष्णा सोबती के कालजयी उपन्यासों ‘सूरजमुखी अँधेरे के’, ‘दिलोदानिश’, ‘ज़िन्दगीनामा’, ‘ऐ लड़की’, ‘समय सरगम’, ‘मित्रो मरजानी’, ‘जैनी मेहरबान सिंह’, ‘हम हशमत’, ‘बादलों के घेरे’ ने कथा साहित्य को बेहतरीन अनुभव प्रदान किया है।

Provide Comments :


Advertisement :