ब्रिटेन ने भारतीय मूल के लोगों में अंग प्रत्यारोपण की समस्याओं से निपटने हेतु नया कानून बनाया
2018-08-06 : हाल ही में, ब्रिटेन सरकार ने 05 अगस्त 2018 को देश में भारतीय मूल के लोगों में प्रत्यारोपण के लिए अंगों की तत्काल आवश्यकता को पूरा करने के लिए अंग और ऊतक दान देने संबंधी कानून में परिवर्तन की नई योजनाओं की घोषणा की हैं। इसका मुख्य लक्ष्यक भारतीय मूल के अपने नागरिकों की जरूरतें पूरी करना है। अंग और ऊतक दान करने में सहमति से जुड़ी नई प्रणाली के इंग्लैंड में 2020 से प्रभावी होने की संभावना है। इसे अश्वेणत, एशियाई और अल्पेसंख्यजक जातीय लोगों की सहायता के लिए एक अभियान के हिस्सेह रूप में घोषित किया गया है, जो लंबे समय से जीवन बचाव के लिए अंग प्रत्योयरोपण का इंतजार कर रहे हैं।
इस नई प्रस्तावित सहमति प्रणाली के तहत वह लोग भी सरकार द्वारा वित्तपोषित राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा (एनएचएस) अंग दान रजिस्टर (ओडीआर) में अपना निर्णय दर्ज करा पाएंगे जो अंग दान नहीं करना चाहते हैं। दरअसल भारतीय मूल के लोगों में अंग दान का स्तर कम होने की वजह से हुई कई मौतें हो जाती हैं। भारतीय मूल के लोगों में अंग दान का स्तर कम होने के कारण हो रही मौतों पर एनएचएस की एक रिपोर्ट आई है। इसी को ध्यान में रखते हुए कानून में बदलाव की योजना है।
यह घोषणा ऐसे समय में हुई है जब हाल की एक रिपोर्ट में एनएचएस से कहा गया था कि वह ब्रिटेन में रह रहे भारतीय मूल के लोगों में अंग दान का स्तर कम होने की वजह से हुई मौतों पर सक्रिय रूप से निर्णय लें। नेशनल हेल्थय सर्विस (एनएचएस) की रिपोर्ट के अनुसार अश्वेरत, एशियाई और अल्पशसंख्य क जातीय लोगों में अंगदान की प्रतीक्षा के कारण पिछले वर्ष ब्रिटेन में 21 प्रतिशत मौते हुई जबकि एक दशक पहले यह दर 15 प्रतिशत थी।
ब्रिटेन में भारतीय मूल के लोगों में उच्च मृत्युि दर को देखते हुए अंगदान की दिशा में सक्रिय उपायों की आवश्य कता उजागर की गई थी। उच्चम मृत्युच दर का कारण यह पाया गया कि भारतीय मूल के नागरिकों में समुदाय के भीतर अंगदान करने की प्रवृत्ति का अभाव है।