
प्रशिद गुजराती लोकगायिका दीवालीबेन भील का निधन|
2016-05-21 : हाल ही में, प्रशिद लोकगायिका दीवालीबेन भील का 19 मई 2016 को जूनागढ़, गुजरात में निधन हो गया। वह 82 वर्ष की थी। उन्होंने कई तरह के लोकगीतों, गरबा आदि को अपना स्वर दिया था। जिनमें से कई कालजयी बन गयी हैं। उन्होंने गुजराती फिल्म के लिए भी गायन किया था। वह गिर जंगल में आदिवासी परिवार में पैदा हुई और 9 साल की उम्र में उनकी शादी हो गयी। जब वह जूनागढ़ के वंजारी चौक पर गरबा कर रही थी तब वहां आकाशवाणी की मौजूद टीम थी। हेमू गढ़वी ने उनका गाना रिकॉर्ड किया था और उन्हें आकाशवाणी मे गाने के लिए निमंत्रण दिया।
दीवालीबेन का पह्ला गाना ‘फूल उतरया फूलवड़ी आ रे लोल’ रिकॉर्ड किया गया और ऑल इंडिया रेडियो एवं दूरदर्शन पर प्रदर्शित किया गया। दीवालीबेन द्वारा उल्लेखनीय गीत कगलीय लखी लखी थकी, वरसे वरसे आशाधी केरे मेघ और चेलैया खामा खामारे शामिल हैं। केन्द्र सरकार ने वर्ष 1990 में उन्हें पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया।