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पश्चिम बंगाल ने बस्तियों के निवासियों को भूमि अधिकार देने हेतु विधेयक पारित किया

पश्चिम बंगाल ने बस्तियों के निवासियों को भूमि अधिकार देने हेतु विधेयक पारित किया


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2018-11-21 : हाल ही में, पश्चिम बंगाल विधानसभा ने 19 नवम्बर 2018 को उत्तर बंगाल में बस्तियों के निवासियों को भूमि अधिकार देने के लिए एक विधेयक सर्वमम्मति से पारित कर दिया। इससे उन बस्तियों में रहने वाले लोगों के भविष्य को लेकर जारी अनिश्चितता समाप्त हो गई। पश्चिम बंगाल भूमि सुधार (संशोधन) विधेयक, 2018 भूमि एवं भूमि सुधार राज्य मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्या की ओर से पेश किया गया था। सदन में उसे सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया। इस विधेयक के समर्थन में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि इस ‘‘ऐतिहासिक विधेयक’’ से बस्ती निवासियों को भारतीय नागरिक होने का पूर्ण दर्जा प्राप्त होगा। उन्हें इसके साथ ही सभी नागरिक सुविधाएं एवं नागरिक अधिकार भी प्राप्त होंगे।

यह विधेयक सीमांत कूचबिहार जिला स्थित बस्तियों में रहने वाले लोगों को भूमि अधिकार दस्तावेज वितरित करने में मदद करेगा। राज्य सरकार लाभार्थियों को उनका उचित लाभ देने पर काम कर रही है। कूचबिहार में 17,160 एकड़ में फैली 111 भारतीय बस्तियां बांग्लादेश का हिस्सा बनी थीं जबकि 7110 एकड़ में फैलेी 51 बांग्लादेशी बस्तियां भारत का हिस्सा बनी थीं। भारत की तरफ स्थित बस्तियों में रहने वाले करीब 37,334 लोगों ने बांग्लादेश जाने से मना कर दिया था जबकि बांग्लादेश की ओर बस्तियों में रहने वाले 922 लोगों ने भारत में रहने का निर्णय किया।

राज्य सरकार बस्तियों के निवासियों के आवास पर 100 करोड़ रूपये से अधिक पहले ही खर्च कर चुकी है। राज्य सरकार को केंद्र से 579 करोड़ रूपये मिले थे और उसे 426 करोड़ रूपये मिलने बाकी हैं। यह कूच बिहार के सीमावर्ती जिले में संलग्नकों के भूमि अधिकार दस्तावेजों के वितरण में भी मदद करेगा। इस प्रक्रिया के परिणामस्वरूप 13 प्रशासनिक जिला (मौजा) का निर्माण होगा, जबकि शेष क्षेत्र मौजूदा 31 मौजा के साथ मिल जाएगा। भूस्खलन करने वालों को भूमि की स्वामित्व की स्थिति का पता लगाने के लिए प्लॉट-टू-प्लॉट सत्यापन किया गया है।

बांग्लादेश और भारत ने 01 अगस्त 2015 को कुल 162 बस्तियों का आदान प्रदान किया था, जिससे विश्व के सबसे जटिल सीमा विवादों में से एक विवाद सुलझ गया था। यह सीमा विवाद स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद सात दशकों तक लंबित रहा।

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