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प्रसिद्ध हिंदी लेखक डॉ महीप सिंह का निधन हुआ |
0000-00-00 : साहित्यकार एवं विचारक डॉं. महीप सिंह का 24 नवम्बर 2015 को गुड़गांव के मेट्रो अस्पताल में हृदयगति थम जाने से निधन हो गया। वे 86 वर्ष के थे। कुछ समय पहले उनके फेफड़े में संक्रमण की शिकायत पर परिजनों ने उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया, जहां उनका हृदयघात के कारण निधन हो गया। उन्हें 60 के दशक में हिन्दी साहित्य जगत में सचेतन कहानी के आंदोलन की शुरुआत करने के लिए जाना जाता है। वर्ष 2009 में भारत-भारती सम्मान से विभूषित डॉ सिंह ‘संचेतना’ पत्रिका के संपादक थे। वह विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में राष्ट्रीय मुद्दों पर लेख भी लिखते थे।
उन्होंने लगभग 125 कहानियां और कई उपन्यास भी लिखे। वह दिल्ली विश्वविद्यालय में हिन्दी के प्रोफेसर रहे। उनके निधन पर शहर और देश के साहित्यकारों ने गहरा दुख जताया। डॉं. सिंह के पिता पाकिस्तान के झेलम के रहने वाले थे वर्ष 1930 में वे अपने परिवार के साथ वेयूपी के उन्नाव आ गए। डॉं। सिंह ने अपनी शिक्षा एवी कालेज कानपुर से प्राप्त की। इसके उपरांत उन्होंने आगरा विश्वद्यालय से पीएचडी की उपाधि ग्रहण की। उनकी लिखी कहानियां दिशांतर, और कितने सैलाब, लय, पानी और पुल, सहमे हुए आदि काफी लोकप्रिय हुए।